Thursday, 24 October 2013

Food security bill:-cheating to people of India

In Indian subcontinent main life supporting work is agriculture. Approximately 80% Indians live in villages and do agriculture   .But it is our draw back that after 66 years of independence we are still suffering from food insecurity .Farmers are still suiciding .Our agriculture is still based on monsoon .It is mood of monsoon that decides the yield ,if monsoon  becomes late  our crop destroys ,if monsoon have more rain ,then flood in some part of country again effecting the crops .Farmers are in debt due to grain insecurity, and when debt become huge they  suicide.
Now government of India have a food security act, according to it poor people will get cheap grain, it will give people food and will eliminate hunger in country. It will also use the grains that not get proper place to store .Surely this bill will ensure food for every Indian but in long run this act will deteriorate Indian economy and Indian currency.  People will get food but they will be not self employed.   
Food security act will provide people food but will it provide people a proper solution for food? They will get grain, how will they prepare food with fossil fuels have sky touching prices. It will not give solution to poor farmers so that their crops do not get damaged, will it give solution of suicide? Surely it will give grain but not solution.
Why all political parties are cheating people for their vote bank ?Opposition know that it will be not good in long run but not speaking due to vote bank.
Our main aim should be to empower people, making them self dependent, economic development of nation, empower nation, our aim should be to give every hand work.
India have potential to produce a large amount of grains or crops ,it only needs proper governance and proper framework on water drainage system for irrigation .In states like Bihar, Utter Pradesh there are number of canals for irrigation but due to lake of proper management and political will power these canals never see proper amount of water in it . Agriculture is based on water and nutrients .government of India is giving subsidy on   fertilisers but due to bad management it not reaches to farmers at proper time. There is not a proper market for farmers  all benefits is engulfed by middle man .Pesticide side effects on farmers .We are duty bound to tackle   these problems so that each farmers become  self dependent .it is time to eliminate poverty ,not only to give food to poor.
But politics is not giving way for a fair agriculture production and farmers benefit, but it is making farmers disabled and then giving crutches for creeping. When politicians announces for crutches people feel good, but they do not visualise that these are for short run .Farmers needs their development through canal development ,proper marketing.
India have potential for irrigation because it have many mountainous rivers, and many lakes .with the help of canals we can make more area irrigated
There is need of governmental intervene in market of food .there is a need of setting of a system in which government buy grains, pulses and vegetables from farmers directly and sell to people who need without profit concept. It will prevent unnecessary price rise of food, eliminate middle man .This will reduce grain price automatically .Means there is need of government control on market
By not giving more attention on development of basic infrastructure for agriculture UPA is cheating people .The priority of government should be job to each hand so that they can earn their own food, to make a work force in country, training to all untrained labour .to decrease casual labour. Main job should be to make people self dependent. But UPA is making act for food only not for these, are not they cheating people? 
  


# Nalin Pushkar

Thursday, 17 October 2013

Makhana :-Special gift from farmers of North Bihar


North Bihar is among the few parts of country that contain  plenty of water .When the whole country faces scarcity of water this part enjoys a plenty of water from Himalayan rivers .This part of india have so many small and big lakes and water bodies which never dries .
   And farmers of this region cultivate Makhana
in these lakes and water bodies .Darbhanga and Madhubani are two main producers of Makhana .
It is interesting to know that 80 to 90 percent of  world Makhana production comes from North Bihar, So Indian Council of Agriculture took a step toward Makhana production enhancement and established  Makhana Research Centre in Darbhanga bihar
Makhana is a food item produced in lakes and in wet lands have at least 2 to 2.5 foot of water.
It  is a weed plant product especially seed,Makhana
is a maithalli word ,maithalli is language of Darbhanga Bihar.  The eating part  looks  likes white small balls .
  Makhana is often used in religious works along with coconut.it is part of prasad at many temples .
It is also used in making kheer and sewai that makes it very useful and very near to god food.
Makhana is not only tasty stuff but it also  have many medicinal property. Makhana   contains less fat so it is very easy to digest ,therefore it is very beneficial for old  people and heart patient .it is also useful in respiratory,artery,digestive,and reproductive disorders. Makhana  seeds are very useful in ear pain removal. It is a cure for Beri -Beri and very beneficial for diarrhea  .
You might have  tested this special food item ,if you have not tested please taste this gift from farmers of North Bihar

Nalin pushkar

Monday, 26 August 2013

नमन

इस  दुनिया में कभी कभी फरिस्ते भी जन्म लेते है ,जो औरों के लिए जीते है खुद के लिए नहीं | ऐसे लोग अमर है |
गरीबो की मसीहा रहीं मदर टेरेसा सेवा और मानवता की परिभाषा है |सिस्टर टेरेसा का जन्म २६ अगस्त  १९१० को  अल्बानिया में हुआ था
१८ वर्ष की उम्र में वो सिस्टर ऑफ लोरेंतो से जुड गई ,कुछ साल यूरोप में काम करने के बाद १९२९ में भारत आई |सबसे पहले दार्जलिंग पहुची ,वहाँ उन्होंने बंगला सिखा और स्कूल में पढाने लगी |
अकेलापन ,गरीबी,बार बार पड़ते अकाल और १९४६ के दंगो ने उन्हें झकझोर कर रख दिया |तब उन्हें लगा यह जन्म लोगों की सेवा के लिए है |फिर न  जाने कब सिस्टर टेरेसा मदर टेरेसा बन गयीं |
उन्होंने भारत की नागरिकता ली और पटना आकर मेडिकल ट्रेनिंग ली और फिर स्लम की और बढ़ चली |सबसे पहले उन्होंने कलकता के मोतिहिल में गरीबो के लिए स्कूल खोला |
गरीबी ,नग्नता ,बीमारी ,दुःख ,समाज की बेरुखी को देखते हुए १९४९ में उन्होंने कुछ सिस्टर की सहायता से "गरीबों में गरीब " की सेवा हेतु एक संता की स्थापना की ,१९५० में उन्हें वेटिकेन की तरफ से मिशनरी बनाने की अनुमति मिल गयी |फिर उन्होंने अपने मिशनरी का नाम मिशनरी ऑफ चैरिटी रखा |सुरुआत में इसमें केवल १३ सिस्टर थी  |
   १९५२ में उन्होंने एक खाली मंदिर में पहला सेव गृह की सुरुआत की जिसका नाम निर्मल ह्रदय रखा |
कुछ दिन बाद कुष्ट रोगियों के लिए सेवा गृह खोला गया जिसका नाम शांति नगर रखा गया |
इसी तरह मदर टेरेसा यहाँ के लोगों की सेवा ५० वर्षों तक  करती रही | मानवता की इस मिशाल के लिए उन्हें १९७९ में नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया |
सृष्टि का नियम से कौन बचा है ,इस फ़रिश्ते ने ५ सितम्बर १९९७ को इस दुनिया को छोड़  दिया |
ऐसे आत्मा ,जज्बे  को सत् सत् नमन
आज उनके जन्मदिन पर उनको एक श्रधांजलि ||

Thursday, 15 August 2013

ऐ मेरे वतन के लोगों




ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा

पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर ना आए
ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानी

जब घायल हुआ हिमालय ख़तरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लड़े वो फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा सो गए अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानी

जब देश में थी दीवाली वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में वो झेल रहे थे गोली
क्या लोग थे वो दीवाने क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानी

कोई सिख कोई जाट मराठा कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरनेवाला हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वत पर वो खून था हिंदुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानी

थी खून से लथ-पथ काया फिर भी बंदूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा फिर गिर गए होश गँवा के
जब अंत-समय आया तो कह गए के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों अब हम तो सफ़र करते हैं

थे धन्य जवान वो अपने
थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुरबानी
जय हिंद जय हिंद की सेना
जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद.....

स्वतंत्रता दिवस मुबारक



ये बात हवावो को बताये रखना ,
रौशनी होगी चिराग को जलाये रखना ,
लहू देकर जिसकी हिफाजत हमने की ,
ऐसे तिरंगे को अपने दिल में बसाये रखना ||

स्वतंत्रता दिवस बहुत बहुत मुबारक हो ||

इस देश के लिए कुछ करने को मन करता है | |





देखों नया सबेरा
आज़ादी लेकर आयी है |
अपने साथ वो खुशियाँ
लेकर आयी है ||

अन्दर एक उमंग है |
बाहर एक उत्साह है ||
अपनों के लिए
कुछ करने की चाह है ||

इस तिरंगे में मै अपने
अरमानो को देखता हूँ |
इसमें देश के खेत और
खलिहानो को देखता हूँ ||

चंद्रयान पर तिरंगा देख
बहुत ही अच्छा लगता है ||
अब इस देश के लिए एक
मंगल यान बनाने का दिल करता है ||

नन्हे नन्हे झंडे
बचपन की याद दिलाते है |
फिर से झंडा लेकर
उछलने को मन करता है ||

कुछ भूखे बच्चे बिलख रहे,
उनके लिए कुछ करने को मन करता है |
उनके हाथों में भी
एक झंडा देने को मन करता है ||

सब है आजाद |
पर कुछ है बेबस |
इन मुरझाये हुए चेहरों पर
एक मुस्कान देखने को मन करता है ||

इन पहाडो में
अपने सिपाहियों को देखता हूँ |
इन खेतों में
अपने भगवान को देखता हूँ ||

इस सुन्दर वातावरण में
कुछ लोग जहर फैलाते है |
उन नापाक हाथों को
कुचलने का मन  करता है ||

अपनों के लिए
कुछ करने को मन करता है |
इस देश की सेवा में
मर मिटने को मन करता है ||

मुझे अब तिरंगे के छाव
में रहने को दिल करता है |
मुझे बड़े उत्साह से
आज़ादी मनाने का मन करता है




#नलिन पुष्कर 

Monday, 12 August 2013

अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,जहां देखो वहाँ तन्हाई है ||

                                                   


अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखो वहाँ तन्हाई है ||

हम पीछे रह गये |
वो आगे बढ़ गये |
अब तो वो इधर देखते भी नहीं ,
हाय इस कदर बेवफाई है ||

अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखो वहाँ तन्हाई है ||

इस अकेले पेड़ को देखो ,
इस अकेले शेर से पूछो ,
क्यों इनके आँखों में ,
एक शून्यता छाई है |

अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखो वहाँ तन्हाई है ||

कागज के पन्नों में ,
जिंदगी ढूढती ये दुनिया |
इन मासूमो के कंधो  पर किसने ,
इनसे भी भारी 
पन्नों का बोझ लदवाई है ||

अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखो वहाँ तन्हाई है ||

Sunday, 11 August 2013

भारत हमको जान से प्यारा है |




भारत हमको जान से प्यारा है |
सबसे प्यारा गुलिस्तां हमारा है  ||

सदियों से भारत भूमि दुनियां की शान है |
भारत माँ के रक्षा में जीवन कुर्बान है  ||

हिन्दुस्तानी नाम हमारा है |
सबसे प्यारा देश हमारा है ||

जन्म भूमि है हमारी ,शान से कहेंगे हम |
सब है भाई भाई ,प्यार से रहेंगे हम ||


भारत हमको जान से प्यारा है |
सबसे प्यारा गुलिस्तां हमारा है ||








Saturday, 10 August 2013

हम भी कुछ बोलें | तू भी कुछ बोल ||

हुआ सवेरा,
अब तो दिमाग के दरवाजे खोल |
हम भी कुछ बोलें |
तू भी कुछ बोल |
अभी तक तुने चुप रहकर बिताया ,
दूसरे से अपने को नीचे पाया |
सहनशीलता बहादुरी नहीं ,
इसलिए तू अपने मुख खोल  |
मै भी कुछ बोलूं |
तू भी कुछ बोल ||
कुछ ने हमें जाहिल बनाये ,
हमारे पसीने से वे  मक्खन खाए  ,
जिस रात को हम भूखा  सोये  |
जिसने इस चमन को बर्बाद किया है ,
उसके लिए तू बन जा एक शोल |
अब तो अपने बाहें खोल ,
हम भी कुछ बोलें |
तू भी कुछ बोल ||
ऐ दोस्त
अब एक नया रास्ता बनाना है ,
चाँद से धरती पर एक सिढी लगाना है||
अब तो तू अपने आंखे खोल ,
मै भी कुछ बोलूं|
तू भी कुछ बोल ||


# नलिन पुष्कर

Sunday, 4 August 2013

छोटी सी आशा

दिल है छोटा सा
छोटी सी आशा  |
मस्ती भरे मन में
भोली सी आशा  |
चाँद तारों को छूने की आशा |
आसमानों में उड़ने की आशा |
जिंदगी में कुछ बनने की आशा |
अपनों लिए कुछ करने की आशा |
दिल ही छोटा सा
छोटी सी आशा |




Thursday, 1 August 2013

साधू कौन

 साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं।
धन का भूखा जी फिरै, सो तो साधू नाहिं ||
                                                      ;- कबीर 

क्या यह आस्था है ??

चाहे कुछ हो  जाये लोग नही समझेंगे कि आस्था मन से होती है ,शोर से नहीं ,दिखावे से नहीं
अभी हरिद्वार में कावर यात्रा चल रहा है ,हरिद्वार से जल लेकर जाने वाले कावरियों को देखकर नहीं लगता कि डेढ़ महीने पहले कितना बड़ा विध्वंस हुआ कितने लोग मरे ,और कितनो कि जिंदगी जीने के लिए अब कुछ भी नहीं बचा
          गाजा बाजा ,डीजे ,नाच ,अंग्रेजी गीत ,साज  सज्जा आवाज इतना कि अगर किसी मृत आदमी को भी सडक  पर ला खङा किया जाये तो उसका भी दिल धड़कने लगे  | जहाँ इन्होने विश्राम किया सारा गन्दगी पोलिथिन फैलाते चले गए ,सडको पर पानी के ग्लास फेकते  जा रहे है |केले कि छिलके जहा खोजिये वही मिलेगा ,और कहते है हम पूजा करते है | उर्जा और पैसो का ऐसा बेहूदा प्रयोग देखकर आपको अपने और इन लोगो पर निश्चय ही रोना आ जायेगा |आपको अपने पर इसलिए कि आप इन्हें समझा न  सके  और  ये   कि कभी समझ न  सके |
      शायद जो पैसे धुआँ में उड़ रहे है ,जो पैसे आवाज बनकर लोगों को बहरा बना रहे है ,जो शक्ति यूँही लोग दौड़ कर नष्ट कर रहें है, उनकी जरुरत  उत्तराखंड को है ,यहाँ के लोगों को है ,पैसो कि जरुरत यहाँ के पेङो को है ,उस शक्ति कि जरुरत यहाँ के पहाड़ों को है  | पैसो कि जरुरत गंगा को है ,उन पैसो कि जरुरत उन संस्थाओ को है जो इन पहाड़ों पर सड़क बनाने पर अनुसन्धान करते है |पैसो कि जरुरत उनको है जो उड़न खटोला बनाकर लोगों को बचाते हैं |और पैसो कि जरुरत यहाँ के संस्थाओ को है जो बच्चो को जज्बाती बनाते है ,वैज्ञानिक बनाते है ,|
           मै तो भगवन से नहीं मिला लेकिन मान्यताओ से तो साफ प्रतीत होता है कि भगवान को प्रदुषण से नफरत है ,चाहे कोई भगवन क्यों ना हो ||

कलम आज उनकी जय बोल

कुछ ऐसी रचनाये है ,जो कभी कभी जोश  जगा देती है ,और राष्ट्रकवि  रामधारी सिंह दिनकर की कविताये तो और प्रेरित करती है , कुछ करने को कुछ पाने को ,लोगो के लिए जीने को ,लोगो  के लिए मरने को
देश के लिए कुछ करने को ,

हम अपने प्रेरणा श्रोत राष्ट्र कवि दिनकर एवं उनकी रचनाओ को नमन करते है |


कलम, आज उनकी जय बोल -रामधारी सिंह दिनकर

जला अस्थियां बारी-बारी,
चटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर,
लिए बिना गर्दन का मोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।

जो अगणित लघु दीप हमारे,
तूफ़ानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन,
मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।

पीकर जिनकी लाल शिखाएं,
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी,
धरती रही अभी तक डोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।

अंधा चकाचौंध का मारा,
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के,
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।

What is success

"be not afraid of growing slowly;be afraid only of standing still"
I often think that what is success ,and every time i perceived that doing our work daily according to our aim is success
                                      
मेरे हिसाब से जिंदगी चलने का नाम है ,प्रेम और मुहब्बत से जिया गया जिंदगी एक स्वर्ग की जिंदगी है |
सबको साथ लेकर चलने में और मजा है ,अकेले चलने में वो मजा नही ,मुझे लगता है जिंदगी को फूल की तरह जीना चाहिए कोई भी आपको देखकर खुस हो ,और फूल की तरह आप भी मुस्कराये ,यही सफलता है |

 देश या राज्य को जितना सफलता नहीं है ,दिलो को जितना एक सफलता है |

Tuesday, 30 July 2013

हरेक क्षण एक शुरुआत है

हरेक क्षण एक नए युग की शुरुआत है 

विश्वाश

आगे बढ़ने की  सोचते सब  है ,लेकिन कोई कोई आगे बढ़ पता है ,क्योकि यह मेहनत के साथ साथ एक नई तरीका भी चाहता है ,एक खुला दिमाग भी मांगता है  और  धैर्य भी खोजता है
आपने तो इस कविता को  पढ़ा ही होगा "कोशिश करने वालों की हार नही होती "

हमें कुछ नया करना चाहिए |

"दुनिया अंधी है और दूसरों को अंधा बनाये रखना चाहती है |जो खुद अपने लिए नए राह निकलेगा उसपर संकीर्ण विचार वाले हसे, तो क्या आश्चर्य है |
मानव जीवन का उद्येश्य कुछ और भी है ,कमाना ,खाना  और मर जाना नहीं |" 
                                                                       :-मुंशी प्रेमचंद 

Monday, 22 July 2013

कभी कभी हम किसी चीज़ के बारे में कुछ सोचते  है हमें तो लगता है की हम सही सोच रहे है लेकिन वैसा होता नही है और कभी कभी जो कभी न सोचा वैसा ही होता है ||

मै इक दिन अपने पास वाले बैंक में पहुच गया ,उस दिन बड़ी गर्मी थी पसीने से तरबतर था मै ,और बैंकिंग हॉल बहुत ही गर्म था ,दिमाग का भी गर्म हो जाना लाजिमी था | मैंने नजर घुमाई तो ५ से ६ वातानुकूलित यन्त्र लगे हुए थे  लेकिन चल कोई भी नहीं रहा था | मुझे बड़ा गुस्सा आया लेकिन कर भी क्या सकते थे ,सभी गर्मी में थे मै सिर्फ मै  ही  नहीं था | यही तो मानव प्रकृति है जब अपने जैसा कोई मिल जाता है तो हम दुःख भूल जाते है | इसलिए मै गुस्सा पी गया

काम की वजह से मै फिर बैंक में पधारा ,शाम होने की वजह से ज्यादा भीड़ नहीं थी  इसलिए बाते होने लगी,मैंने पूछा की आप ए सी लगाकर गर्मी में क्यों बैठते हो ??
  उन्होंने बताया की बैंक के पास बिजली का कनेक्शन नहीं है ,और जेनेरेटर से  ए सी चलते नहीं,बिजली के लिए आवेदन दिया गया है' ,बैंक आज का नहीं है  खुले हुए तिन साल हो गए ,लेकिन बिजली नहीं मिली  , क्यों नहीं मिली ए तो मै नहीं जानता पर यह बैंक प्रबंधक की थोड़ी पर बिजली बिभाग की  ज्यादा जिम्मेदारी  है
बाकी स्टाफ तो खुद ही गर्मी में पकते है बिजली नहीं रहेगी तो ए सी चलेगा कैसे ??

मुझे ऐसा लगता है  कि किसी से मिले बिना उसके बारे में कोई बात अपने मन में नहीं बैठानी चाहिए इससे वो तो कुछ नहीं खोता पर हम इक अच्छे आदमी से नजदीकियो को खो देते है


Friday, 22 February 2013

मानव बनो


डा राधाकृष्णन के शब्दो मे  
मानव का दानव होना उसकी हार है 
मानव का महामानव होना उसका चमत्कार है 
मानव का मानव होना उसकी विजय है  

Monday, 11 February 2013

Natural beauty

It is not flower but a plan whose leaves like flower

                                     flower in yogpith campus
                                     looking very nice
                                     its construction is very different from other plant

                                     
                                     this flower have a unique constructin
                             trees
                             Trees
                             green purifier

Saturday, 9 February 2013

How to change icon of any folder in window 7


How to change icon of any folder in window 7
For changing icon of folder follow these instructions
(For changing icon you need icons files so download icons file from any site which uploads icons)
1>select any folder (folder which you want you to change icon)
2>right click on folder
3>click on properties
4>click on customize
5>and then click change icon
6>and then browse icons files from your computer
7>then click OK
You have done
Your folder icon get changed
By this way you can make your desktop attractive and choosing folder will become easier
   

thank you for coming to my blog

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flower

 flowers are gift of nature
for beauty of earth god make a very fantastic thing that is flower
flower is love ,it is life
it is beauty
life without nature is life without soul,it give energy ti live and encourages to do some thing positive in this world ,so that world become more and more beautiful.
so take a positive step for the earth and plant trees and make this world more peaceful and more beautiful