Monday 12 August 2013

अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,जहां देखो वहाँ तन्हाई है ||

                                                   


अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखो वहाँ तन्हाई है ||

हम पीछे रह गये |
वो आगे बढ़ गये |
अब तो वो इधर देखते भी नहीं ,
हाय इस कदर बेवफाई है ||

अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखो वहाँ तन्हाई है ||

इस अकेले पेड़ को देखो ,
इस अकेले शेर से पूछो ,
क्यों इनके आँखों में ,
एक शून्यता छाई है |

अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखो वहाँ तन्हाई है ||

कागज के पन्नों में ,
जिंदगी ढूढती ये दुनिया |
इन मासूमो के कंधो  पर किसने ,
इनसे भी भारी 
पन्नों का बोझ लदवाई है ||

अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखो वहाँ तन्हाई है ||

चला था मै ज्ञानार्जन करने 
अपने को उज्जवल करने |
पर कुछ दिन बाद  पता चला 
विद्यालयों पर भी दैत्यों की परछाई है ||


अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखो वहाँ तन्हाई है  ||


जीवन में अब चैन कहाँ,
शावान में वह मेघ कहाँ ,
जिस रास्ते पर फूल सोचा था ,
वहाँ तो सिर्फ काई ही काई है ||


अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखो वहाँ तन्हाई है ||


अब मौसम गर्म है 
हर जगह नफ़रत की आंधी  है |
साम्प्रदायिकता की आग से  ,
पुरे मुल्क की रुश्वाई है ||


अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखो वहाँ तन्हाई है  ||


हम सभी जानते है कि,
हमें विकास करना है ,
हरेक को एक शेर बनना है  ||
पर क्यों हमारे देश पर ,
खुदगर्जो की काली घटा छाई है ||


अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखो वहाँ तन्हाई है ||


इधर बम उधर गोली
होर्न सुनकर कान बोली
बातें तो बहुत है कहने को ,
पर मैंने कुछ झलकियाँ ही दिखाई है 


अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखों वहाँ तन्हाई है ||


परिवर्तन शील दुनिया में ,
बहुत कुछ है बदलने को ||
जागो यारों जागो 
अब अपनी बारी आई है ||


अब इस प्रेम भरी दुनिया में ,
जहाँ देखों वहाँ तन्हाई है ||


# नलिन पुष्कर

No comments:

Post a Comment