Tuesday, 12 May 2015

शुक्रिया................

कॉलेज के चार साल एक अच्छा खासा समय होता है जिसमे कोई अपना व्यक्तित्व बदल सकता है वह दब्बू से दबंग बन सकता है  ,मस्ती कर सकता है ,पढाई कर सकता है ,दोस्ती कर सकता है ,बहुत कुछ कर सकता है,अपने शौक को एक नया रूप दे सकता है ,अपने  भविष्य को बना सकता है  और बिगड भी सकता है | कहते है न की जब एक बार समय निकल जाता है तो दुबारा नहीं आता उसी तरह ऐ समय बड़ा ही महत्वपूर्ण था ,आदमी को अगर यह पता लग जाए की वह क्या कर रहा है और इसका क्या असर होगा तो वह समय को समझ लेगा और सफल होगा | हम कब खुश  होते है जब हम सफल होतें है ,और शायद असफल होने पर निराश  और दुखी  
                 पता नहीं मैंने अपना समय बर्बाद किया की उपयोग किया ,सिखा  की नहीं  सिखा  की इससे भी ज्यादा सीख सकता था  ,लेकिन इतना तो जरुर है की ऐ समय बड़ा महत्वपूर्ण था  |
                 मै चार साल  एक छोटे से कॉलेज में पढाई की , न जाने कितने लोगों से मिला सेनिअर  जूनीयर साथ वाले न जाने कितने कुछ तो दिल में बस गये बाकी आये मिले और चले गये ,दुनियादारी सीखी ,अकेले रहना सिखा  बहुत कुछ सिखा मैंने कॉलेज में आकर | मै  हर उस सख्स का सुक्रिया अदा करना चाहता हू जिससे मै मिला  ,जिससे कुछ सिखा  , वो  सेनिओर्स जो मेरा हौसला अफजाई करते थे .एक अच्छा इंसान मानते थे | साथ वाले दोस्त जो हमेशा मुझे बहुत ही सहयोग दिया ,और कुछ जूनीयर का जिन्होंने मुझे जरुरत से ज्यादा आदर और प्यार दिया ,  बहुत  बहुत सुक्रिया  |
      आदमी एक सामाजिक प्राणी है अकेले नहीं रह सकता | अपनी बातों को बताने के लिए  ,कुछ जानने के लिए समाज में आदमी रहता है ,कुछ  दोस्त बनते है ,कुछ लोग बड़े करीब हो जाते है कुछ दूर रहकर भी करीब रहते है ,हर वो सख्स   जिसने  एक पल भी  मेरे खातिर दिया  उसको तहे दिल से सुक्रिया  ,धन्यवाद .... सुक्रिया  
             

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