भारत के महामहिम प्रधानमंत्री जी चाइना पहुचे ,की विजेनस की बात करेंगे कुछ विकास की बात करेंगे तब तक वहाँ के सरकारी चैनल ने भारत का मानचित्र दिखा दिया जिसमे न तो जम्मू और कश्मीर था और न ही अरुणाचल प्रदेश | चाइना का चिन्ह तो ड्रगन है ,असल में इसे गिरगिट होना चाहिए पल पल रंग बदलता है ,कभी दोस्ती की बात करता है कभी व्यापार की तो कभी भारत के मानचित्र से भारत के अंग को काटकर खुद में मिला लेता है ,और थोरा बहुत पाकिस्तान को दे देता है |कहते है ना की चोर चोर मौसेरे भाई ,सेम बात यहाँ भी लागू होता है ,पाकिस्तान और चाइना की बहुत दोस्ती हो गया है ,अब दोनों मौसेरे भाई हो गये है | अब देखने की बारी भारत के लोगों की है की हमारे प्रधानमन्त्री महोदय क्या क्या कर के आते है |
असली समस्या ये है की क्या समझोता होगा ये तो पता चलता नहीं है क्योकि कुछ बात गोपनीय रख लेते है ताकि अपनी नाकामयाबी और निष्कर्मता को छिपाया जा सके जैसा की शिमला समझौते में हुआ था |
भारत एक गणतंत्र है ,जनतंत्र है यहाँ के लोगों को इन समझौतों के बारें में जरुर जानकारी देनी चाहिए क्योकि जाने अनजाने ऐ समझौते यहाँ के लोगों के जीवन को बहुत प्रभावित करते है |
भारत और चीन का व्यापार भी संतुलित नहीं है ,भारत के लोग सिर्फ खरीददार है और चीन वाले दुकानदार ,सारे इलेक्ट्रोनिक के सामान चाइना से बन के आतें है और भी बहुत सी चीजे वहाँ से बन के आती है जिसमे खिलोनों से लेकर बड़े मशीनरी तक है जबकि भारत केवल कच्चे माल चीन को बेचता है |ऐसी सम्बन्ध से तो न सम्बन्ध ही अच्छा है कमसे कम भारत में कच्चा माल तो रहेगा ,जब चाहे भारतीय उसे उपयोग करेंगे |असल में चीन के माल को भारत में बेचने की इजाजत होनी ही नहीं चाहिए ,चीनी सामान न सिर्फ घटिया क्वालिटी के होते है बल्कि कभी कभी हानिकारक भी होतें है जैसे चाइना के बने बलून्स और खिलौने |
अब देखना ये है की हमारे मोदी जी इनसे कैसे पेश आते है | समस्याय खतम होती है की और बढ़ जाती है ,फिलहाल मुझे चीन के नियत में खोट लगता है |
असली समस्या ये है की क्या समझोता होगा ये तो पता चलता नहीं है क्योकि कुछ बात गोपनीय रख लेते है ताकि अपनी नाकामयाबी और निष्कर्मता को छिपाया जा सके जैसा की शिमला समझौते में हुआ था |
भारत एक गणतंत्र है ,जनतंत्र है यहाँ के लोगों को इन समझौतों के बारें में जरुर जानकारी देनी चाहिए क्योकि जाने अनजाने ऐ समझौते यहाँ के लोगों के जीवन को बहुत प्रभावित करते है |
भारत और चीन का व्यापार भी संतुलित नहीं है ,भारत के लोग सिर्फ खरीददार है और चीन वाले दुकानदार ,सारे इलेक्ट्रोनिक के सामान चाइना से बन के आतें है और भी बहुत सी चीजे वहाँ से बन के आती है जिसमे खिलोनों से लेकर बड़े मशीनरी तक है जबकि भारत केवल कच्चे माल चीन को बेचता है |ऐसी सम्बन्ध से तो न सम्बन्ध ही अच्छा है कमसे कम भारत में कच्चा माल तो रहेगा ,जब चाहे भारतीय उसे उपयोग करेंगे |असल में चीन के माल को भारत में बेचने की इजाजत होनी ही नहीं चाहिए ,चीनी सामान न सिर्फ घटिया क्वालिटी के होते है बल्कि कभी कभी हानिकारक भी होतें है जैसे चाइना के बने बलून्स और खिलौने |
अब देखना ये है की हमारे मोदी जी इनसे कैसे पेश आते है | समस्याय खतम होती है की और बढ़ जाती है ,फिलहाल मुझे चीन के नियत में खोट लगता है |
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