हुआ सवेरा,
अब तो दिमाग के दरवाजे खोल |
हम भी कुछ बोलें |
तू भी कुछ बोल |
अभी तक तुने चुप रहकर बिताया ,
दूसरे से अपने को नीचे पाया |
सहनशीलता बहादुरी नहीं ,
इसलिए तू अपने मुख खोल |
मै भी कुछ बोलूं |
तू भी कुछ बोल ||
कुछ ने हमें जाहिल बनाये ,
हमारे पसीने से वे मक्खन खाए ,
जिस रात को हम भूखा सोये |
जिसने इस चमन को बर्बाद किया है ,
उसके लिए तू बन जा एक शोल |
अब तो अपने बाहें खोल ,
हम भी कुछ बोलें |
तू भी कुछ बोल ||
ऐ दोस्त
अब एक नया रास्ता बनाना है ,
चाँद से धरती पर एक सिढी लगाना है||
अब तो तू अपने आंखे खोल ,
मै भी कुछ बोलूं|
तू भी कुछ बोल ||
# नलिन पुष्कर
अब तो दिमाग के दरवाजे खोल |
हम भी कुछ बोलें |
तू भी कुछ बोल |
अभी तक तुने चुप रहकर बिताया ,
दूसरे से अपने को नीचे पाया |
सहनशीलता बहादुरी नहीं ,
इसलिए तू अपने मुख खोल |
मै भी कुछ बोलूं |
तू भी कुछ बोल ||
कुछ ने हमें जाहिल बनाये ,
हमारे पसीने से वे मक्खन खाए ,
जिस रात को हम भूखा सोये |
जिसने इस चमन को बर्बाद किया है ,
उसके लिए तू बन जा एक शोल |
अब तो अपने बाहें खोल ,
हम भी कुछ बोलें |
तू भी कुछ बोल ||
ऐ दोस्त
अब एक नया रास्ता बनाना है ,
चाँद से धरती पर एक सिढी लगाना है||
अब तो तू अपने आंखे खोल ,
मै भी कुछ बोलूं|
तू भी कुछ बोल ||
# नलिन पुष्कर
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