Saturday, 10 August 2013

हम भी कुछ बोलें | तू भी कुछ बोल ||

हुआ सवेरा,
अब तो दिमाग के दरवाजे खोल |
हम भी कुछ बोलें |
तू भी कुछ बोल |
अभी तक तुने चुप रहकर बिताया ,
दूसरे से अपने को नीचे पाया |
सहनशीलता बहादुरी नहीं ,
इसलिए तू अपने मुख खोल  |
मै भी कुछ बोलूं |
तू भी कुछ बोल ||
कुछ ने हमें जाहिल बनाये ,
हमारे पसीने से वे  मक्खन खाए  ,
जिस रात को हम भूखा  सोये  |
जिसने इस चमन को बर्बाद किया है ,
उसके लिए तू बन जा एक शोल |
अब तो अपने बाहें खोल ,
हम भी कुछ बोलें |
तू भी कुछ बोल ||
ऐ दोस्त
अब एक नया रास्ता बनाना है ,
चाँद से धरती पर एक सिढी लगाना है||
अब तो तू अपने आंखे खोल ,
मै भी कुछ बोलूं|
तू भी कुछ बोल ||


# नलिन पुष्कर

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