देखों नया सबेरा
आज़ादी लेकर आयी है |
अपने साथ वो खुशियाँ
लेकर आयी है ||
अन्दर एक उमंग है |
बाहर एक उत्साह है ||
अपनों के लिए
कुछ करने की चाह है ||
इस तिरंगे में मै अपने
अरमानो को देखता हूँ |
इसमें देश के खेत और
खलिहानो को देखता हूँ ||
चंद्रयान पर तिरंगा देख
बहुत ही अच्छा लगता है ||
अब इस देश के लिए एक
मंगल यान बनाने का दिल करता है ||
नन्हे नन्हे झंडे
बचपन की याद दिलाते है |
फिर से झंडा लेकर
उछलने को मन करता है ||
कुछ भूखे बच्चे बिलख रहे,
उनके लिए कुछ करने को मन करता है |
उनके हाथों में भी
एक झंडा देने को मन करता है ||
सब है आजाद |
पर कुछ है बेबस |
इन मुरझाये हुए चेहरों पर
एक मुस्कान देखने को मन करता है ||
इन पहाडो में
अपने सिपाहियों को देखता हूँ |
इन खेतों में
अपने भगवान को देखता हूँ ||
इस सुन्दर वातावरण में
कुछ लोग जहर फैलाते है |
उन नापाक हाथों को
कुचलने का मन करता है ||
अपनों के लिए
कुछ करने को मन करता है |
इस देश की सेवा में
मर मिटने को मन करता है ||
मुझे अब तिरंगे के छाव
में रहने को दिल करता है |
मुझे बड़े उत्साह से
आज़ादी मनाने का मन करता है
#नलिन पुष्कर
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