एक अँधेरा लाख सितारे |
एक निराशा लाख सहारे ||
सबसे बड़ी सौगात है जीवन |
नादाँ है जो जीवन से हारे ||
दुनिया कि ये बगिया ऐसी
जीतने कांटे फुल भी उतने ||
दामन में खुद आ जायेंगे
जिनकी तरफ तू हाथ पसारे ||
एक अँधेरा लाख सितारे |
एक निराशा लाख सहारे ||
बीते हुए कल कि खातिर तू
आने वाला कल मत खोना |
जाने कौन कहाँ से आकर
राहे तेरी फिर से सवाँरे ||
एक अँधेरा लाख सितारे |
एक निराशा लाख सहारा ||
दुःख से अगर पहचान न हो
तो कैसा सुख और कैसी खुशिया ||
तुफानो से लड़कर ही तो
लगते है साहिल इतने प्यारे ||
एक अँधेरा लाख सितारे |
एक निराशा लाख सहारे ||
सबसे बड़ी सौगात है जीवन |
नादाँ है जो जीवन से हारे ||
#गीत
#आखिर क्यों (1985)
#मोहम्मद अजीज
#इन्दीवर
No comments:
Post a Comment