Wednesday, 13 May 2015

बस यूँ ही ...............

भारत में  जितने भी प्राइवेट कॉलेज है उनमे  अधिकतर कॉलेज का  एक ही लक्ष्य है ,पैसा कमाना  चाहे वो जैसे भी हो ,पढाई एक मजाक बन गया है | पैसे के खातिर वो बच्चो से तरह तरह के फी जमा करवाते है और पढाई लिखाई कुछ नहीं |अधिकतर बच्चो के पास बी टेक करने के बाद भी न  जॉब होता है  न  ही उन्हें एम टेक में एडमिशन मिलता है | और कोचिंग वालों की चांदी हो जाती है ,बच्चे  बी टेक करने के बाद कोचिंग करते है | कोचिंग भी पूरा लुट ,एक बैच में चार सौ से पांच सौ बच्चे बैठते है |सरकारी जॉब पाना बड़ा ही कठिन है  | कहते है न की डरे हुए से लूटना आसान होता है वही काम कोचिंग वालें करते है |
      अब सवाल उठता है की ऐसी सडी हुई शिक्षा व्यवस्था के लिए जिम्मेदार कौन है और क्यों इसे बदला नहीं जा रहा |कुछ राज्यों में शिक्षा व्यवस्था इतनी खराब है की आप सोच भी नहीं सकते ,खासकर उच्च शिक्षा का हाल  खस्ता  है |
                    मुझे ऐसा लगता है की हमारे यहाँ चुनाव में कोई शिक्षा के लिए कोई वोट नहीं मांगता क्योकि अभी जनता पढाई लिखाई के महत्व को नहीं जानती ,अगर जानती भी है उनकी संख्या कुछ थोड़ा  है | शिक्षा का महत्व जब  हार आदमी जन जायेगा तब शिक्षा को बढ़ाना आसान हो जायेगा ,और उसकी गुणवत्ता में बदलाव आयेगा
                    भारत में गरीबी है ,गरीबों की संख्या ज्यादा है  चुनाव  उनके लिए भोजन की व्यवस्था और  उनसे सम्बंधित मुद्दों पर होता है ,पर असली मुद्दा कही खो जाता है वह है शिक्षा |असल में यहाँ  की प्रशासन और नेतृत्व ही  हमेशा शिक्षा को हासिये पर रखा है |
  हमारे देश में चुनाव जात  ध्रुवीकरण से होता है |विद्यालय को बनाने के लिए जगह नहीं मिलती लेकिन अल्पसंख्यक  हॉस्टल के लिए जगह मिल जाती है |  आप ही बताए की स्कूल में अल्पसंख्यक के बच्चे नहीं पढते क्या .|  जब तक जात ,धर्म की राजनीती होगी तब तक कुछ नहीं होगा दंगे के सिवा
              इस समय   एक नेतृत्व की जरुरत है एक दृष्टी की जरुरत है ,एक दृढ प्रतिज्ञ आदमी की जरुरत है जो  इस व्यवस्था को बदलने के लिए हिम्मत और जज्बा रखता हो  जब प्राथमिक शिक्षा ही   नहीं होगी  फिर उच्च शिक्षा कैसे सफल हो सकती है |
          

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