Wednesday, 14 August 2019

ये तर्क की हार है ।

            मोदी के जितने के बाद हर जगह जीत की बात हो रही है ।।चाणक्य  नीति की बात हो रही है ।पर एक जो बात नही हो रही वो है तर्क । यह  तर्क कि हार है | जब लोग भावनाओं पे वोट देतें है ,फिर सरकारे काम नहीं करती |
                                    आखिर क्यों करे जब यूँ ही वोट दे रहे ,जब यूँ ही नारे लगा रहे ,जब यूँ ही खुश हो रहे ||
शायद यह भारत के  समस्यायों को ख़त्म नहीं करेगा बल्कि और बढ़ाएगा | क्यों बेरोजगारी मुद्दा नहीं बन पाया ,क्यों गरीबी मुद्दा नहीं बना ,क्यों  हवा ,पानी कभी मुद्दा नहीं पाता जबकि आधे से ज्यादा लोग हानिकारक हवा और पानी लेने को मजबूर है | बेरोजगारी तेतालीस साल में सबसे उच्च स्तर पे है | फिर भी बेरोजगारी कोई मुददा नहीं बना ,यह यहाँ कि जनता कि हार है कि वो अपने मुद्दे नहीं बना पाए | अर्थव्यवस्था कि हालत खस्ता है ,बहुत सारे छोटे बड़े कारखाने बंद हुए | सब जगह निजीकरण कि होड़ है ,जैसे निजीकरण कोई जादू कि छड़ी है जिससे सारे समस्याओं का हल हो जायेगा | सरकारी सम्पति को  कौड़ियों के दाम बेचना बहुत सारी बातें है जिसको मुद्दा बनना चाहिए था पर मुद्दा नहीं बन पाया |
 इससे किसी पार्टी को कोई नुकसान नहीं होने वाला ,नुकसान यहाँ कि औसत जनता को है |धनी जनता के पास सब कुछ है उसको कोई फर्क नहीं पड़ता कि बेरोजगारी दर बढे या घटे ,घाटा गरीब को है ,औसत लोगों को है ,जो न धनी है न गरीब |
         यह किसी पार्टी कि गलती नहीं कि लोग इस मुद्दों को तवज्जो नहीं देते | यह उन लोगों कि गलती है जिनको ये पता नहीं कि वो क्या  कर रहे है | सोच कि कमी है ,पढाई कि कमी है | सभी आज कल व्हात्त्सप्प यूनिवर्सिटी से डिग्री ले रहे |
               मीडिया का सरकारी कीर्तन भजन ,शाम का चीखो बाला बहस लोगों को सोचने से दूर ले जाकर अंधापन का भांग पिला रहा है और शायद इसलिए लोग गन्दा हवा पानी पीकर भी खुश है और अपने अभिमान को बढ़ा रहे है |राष्ट्रवाद और धर्म का भांग इतना प्रभावी है कि असली वाला  भांग हाथ जोड़ ले  |
                     मनुष्य काफी अभिमानी प्राणी है ,जब किसी चीज को अभिमान से जोड़ दिया जाये तो फिर जीवन अभिमान से बौनी हो जाती है ,यह झूठा अभिमान खतरनाक और  जीवन को बौना बनाने वाला होता है | अब समस्या अभिमान के सामने बौनी हो रही है  फिर समस्यायों को कौन देखे ,किसको इतनी फुर्सत है कि वो हवा पर सोचे ,शिक्षा के बारे में सोचे ,पानी के बारे सोचे ,खाने के बारे में सोचे  | सबको अपने धर्मे का सर्वश्रेष बनना है | बेरोजगार है पर  सोशल मिडिया पर धर्म के लिए जहरीले पोस्ट किये जा रहे |
यह आँखों पर पट्टी है  जिसे मिडिया ने बांधा है  और  ज्यादातर जनता इसके चपेट में है  | कैसे हटेगी वो तो पता नहीं पर जब हटेगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी |

Monday, 12 August 2019

आखिर क्यों भारतीय राजनीति में तेज तरार्र युवा नेता न के बराबर है |

                       अगर हम देश कि राजनीति को देखे समझदार युवा नेता न के बराबर मिलेगा | जो पढ़ा लिखा हो और सोचने कि हिम्मत रखता हो ,जो पार्टी  को  चलाने  का जज्बा रखता हो , जो हल्ला नहीं करता हो और कुछ काम करता हो |
जितने भी युवा नेता  है वो चाँदी का चम्मच  लेकर पैदा हुए है ,जिनका अपना राजनितिक खानदान है ,वे सिर्फ विरासत को  सम्भाल रहें है |इन युवा नेता कि सोच पुरातन है ,बाकि हल्ला नया है ,फैशन नया है , बाकी सब पुराना है ||
ये सोचने कि बात है कि जिस देश में आधे से ज्यादा लोग युवा हो बच्चे हो वहां  जमीन से निकला कोई युवा नेता क्यों नहीं | वैसे तो अब जमीन  से निकले नेताओ का घोर अभाव है | यह सोचने कि बात है |
जहाँ नेता वही बनता है जिसके पास पैसा हो वहां नए लोगों का आना बहुत मुस्किल बन गया है |
आज के युवा नेता है वो कल तक रोड पर घूम रहे थे ,सोशल मीडिया के आते ही वो नेता बन गए , पहले ट्विटर पर गाली देने का काम करने लगे और उनको लगने लगा कि वो देश बना रहे है |
भारतीय राजनीति कि दयनीय स्थिति कि एक वजह इसमें प्रतिभावान  युवाओं का न होना है |

अगर इतिहास को गौर से देखा जाये तो आजादी के समय ,राजनीति प्रतिवाभावान लोगों से भरा पड़ा था ,जिनमे नेतृत्व का , साहस  का भंडार था ,सभी पढ़े लिखे लोग थे | उस समय  कानून कि पढाई का क्रेज था और सारे प्रतिभावान बच्चे कानून कि पढाई करते थे ,इसलिए स्वंत्रता संग्राम में प्रतिभावान लोगों कि कोई कमी नहीं थी |
आज  ऐसा नहीं है ,प्रतिभा तो कहीं और है ,वो बैंगलोर ,दिल्ली ,और विदेशो में किसी कंपनी के लिए मजदूरी कर रहे है | पैसा का ऐसा प्रभाव बढ़ा है कि  सभी प्रतिभावान बच्चे सिर्फ पैसा कमाना चाहते है भले देश गटर में जाये ||
राजनितिक पार्टियों कि भी  मज़बूरी है वो उनको आकर्षित नहीं कर पा रहे| यह एक पार्टी कि समस्या नहीं है यह सब पार्टियों में है | जो कानून बना रहे है ,या जो पार्टियों के शीर्ष पर है उनको सोचना चाहिए | जो हारते है वो सोचते है पर कुछ करते नहीं  है ,बाकि जो जीतते है  वे करने कि जरुरत नहीं समझते |
प्रतिभावों को राजनीति में लाना अब के राजनेताओं  का मुख्य काम होना चाहिए |
शायद कांग्रेस को होश आयें और  कुछ करे
क्योंकि  जिसने चाँदी का चम्मच से खाया है वो धुप में नहीं घूम सकता ,देश कि समस्याओं को महसूस नहीं कर सकता |
युवा नेता के नाम पे नेता पुत्रो  का गुणगान देश और समाज के लिए काफी खतरनाक है और इससे राजशाही कि बू आती है ,एक गणतंत्र में राजशाही कि बू ठीक नहीं , यह उर्जावान युवायों  में  निराशा  लेकर आ रही है |
जो देश समाज के लिए ठीक नहीं ||

Sunday, 11 August 2019

जीवन


एक अँधेरा लाख सितारे |
एक निराशा लाख सहारे  ||

सबसे बड़ी सौगात है जीवन |
नादाँ है जो जीवन से हारे ||

दुनिया कि ये बगिया ऐसी
जीतने कांटे फुल भी उतने ||
दामन में खुद आ जायेंगे
जिनकी तरफ तू हाथ पसारे ||

एक अँधेरा लाख सितारे |
एक निराशा लाख सहारे  ||

बीते हुए कल कि खातिर तू
आने वाला कल मत खोना |
जाने कौन कहाँ से  आकर
राहे तेरी फिर से सवाँरे ||

एक अँधेरा लाख सितारे |
एक निराशा लाख सहारा ||

दुःख से अगर पहचान न हो
तो कैसा सुख और कैसी खुशिया ||
तुफानो से लड़कर ही तो
लगते है साहिल इतने प्यारे ||


एक अँधेरा लाख सितारे |
एक निराशा लाख सहारे  ||

सबसे बड़ी सौगात है जीवन |
नादाँ है जो जीवन से हारे ||



#गीत
#आखिर क्यों  (1985)
#मोहम्मद अजीज
#इन्दीवर

The first Ray

Being simple is beauty
Being regular is Beauty like The first Ray

What is beauty

Being Organised is Beauty 

#photography
#Bangalore



STONES

                           पत्थर मारने के लिए नहीं
                              बल्कि सुन्दर होतें है  ||



Saturday, 25 May 2019