Tuesday, 30 July 2013
हमें कुछ नया करना चाहिए |
"दुनिया अंधी है और दूसरों को अंधा बनाये रखना चाहती है |जो खुद अपने लिए नए राह निकलेगा उसपर संकीर्ण विचार वाले हसे, तो क्या आश्चर्य है |
मानव जीवन का उद्येश्य कुछ और भी है ,कमाना ,खाना और मर जाना नहीं |":-मुंशी प्रेमचंद
Monday, 22 July 2013
कभी कभी हम किसी चीज़ के बारे में कुछ सोचते है हमें तो लगता है की हम सही सोच रहे है लेकिन वैसा होता नही है और कभी कभी जो कभी न सोचा वैसा ही होता है ||
मै इक दिन अपने पास वाले बैंक में पहुच गया ,उस दिन बड़ी गर्मी थी पसीने से तरबतर था मै ,और बैंकिंग हॉल बहुत ही गर्म था ,दिमाग का भी गर्म हो जाना लाजिमी था | मैंने नजर घुमाई तो ५ से ६ वातानुकूलित यन्त्र लगे हुए थे लेकिन चल कोई भी नहीं रहा था | मुझे बड़ा गुस्सा आया लेकिन कर भी क्या सकते थे ,सभी गर्मी में थे मै सिर्फ मै ही नहीं था | यही तो मानव प्रकृति है जब अपने जैसा कोई मिल जाता है तो हम दुःख भूल जाते है | इसलिए मै गुस्सा पी गया
काम की वजह से मै फिर बैंक में पधारा ,शाम होने की वजह से ज्यादा भीड़ नहीं थी इसलिए बाते होने लगी,मैंने पूछा की आप ए सी लगाकर गर्मी में क्यों बैठते हो ??
उन्होंने बताया की बैंक के पास बिजली का कनेक्शन नहीं है ,और जेनेरेटर से ए सी चलते नहीं,बिजली के लिए आवेदन दिया गया है' ,बैंक आज का नहीं है खुले हुए तिन साल हो गए ,लेकिन बिजली नहीं मिली , क्यों नहीं मिली ए तो मै नहीं जानता पर यह बैंक प्रबंधक की थोड़ी पर बिजली बिभाग की ज्यादा जिम्मेदारी है
बाकी स्टाफ तो खुद ही गर्मी में पकते है बिजली नहीं रहेगी तो ए सी चलेगा कैसे ??
मुझे ऐसा लगता है कि किसी से मिले बिना उसके बारे में कोई बात अपने मन में नहीं बैठानी चाहिए इससे वो तो कुछ नहीं खोता पर हम इक अच्छे आदमी से नजदीकियो को खो देते है
मै इक दिन अपने पास वाले बैंक में पहुच गया ,उस दिन बड़ी गर्मी थी पसीने से तरबतर था मै ,और बैंकिंग हॉल बहुत ही गर्म था ,दिमाग का भी गर्म हो जाना लाजिमी था | मैंने नजर घुमाई तो ५ से ६ वातानुकूलित यन्त्र लगे हुए थे लेकिन चल कोई भी नहीं रहा था | मुझे बड़ा गुस्सा आया लेकिन कर भी क्या सकते थे ,सभी गर्मी में थे मै सिर्फ मै ही नहीं था | यही तो मानव प्रकृति है जब अपने जैसा कोई मिल जाता है तो हम दुःख भूल जाते है | इसलिए मै गुस्सा पी गया
काम की वजह से मै फिर बैंक में पधारा ,शाम होने की वजह से ज्यादा भीड़ नहीं थी इसलिए बाते होने लगी,मैंने पूछा की आप ए सी लगाकर गर्मी में क्यों बैठते हो ??
उन्होंने बताया की बैंक के पास बिजली का कनेक्शन नहीं है ,और जेनेरेटर से ए सी चलते नहीं,बिजली के लिए आवेदन दिया गया है' ,बैंक आज का नहीं है खुले हुए तिन साल हो गए ,लेकिन बिजली नहीं मिली , क्यों नहीं मिली ए तो मै नहीं जानता पर यह बैंक प्रबंधक की थोड़ी पर बिजली बिभाग की ज्यादा जिम्मेदारी है
बाकी स्टाफ तो खुद ही गर्मी में पकते है बिजली नहीं रहेगी तो ए सी चलेगा कैसे ??
मुझे ऐसा लगता है कि किसी से मिले बिना उसके बारे में कोई बात अपने मन में नहीं बैठानी चाहिए इससे वो तो कुछ नहीं खोता पर हम इक अच्छे आदमी से नजदीकियो को खो देते है
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